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नेशनल यूथ टीम ऑफ इण्डिया - NYTI

संगठन का इतिहास:- NYTI संगठन की स्थापना 1 जुलाई 2021 को श्री विजय राजन पटेल और उनके सबसे अच्छे मित्र श्री विष्णु प्रताप सिंह जी मिलकर की हैं। नेशनल यूथ टीम ऑफ इण्डिया एक औपचारिक संगठन एक सहकारी प्रणाली है जिसमें लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं और औपचारिक रूप से एक सामान्य उद्देश्य के लिए अपने प्रयासों को संयोजित करने के लिए सहमत होते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इसमें मुख्य तत्व बल्कि सरलीकृत परिभाषा है “जागरूक समन्वय"। 

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संगठन का सिद्धांत:- संगठन वह बुनियादी औजार है जिसके जरिए प्रशासनिक प्रक्रिया को चालू हालत में रखा जाता हैं। युवाओं को अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में लगाना चाहिए, न कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में। वही, आज के युग में हम कुछ भटके हुए हैं तो हमें इस भटकाव को वैचारिक परिपक्वता के आधार पर इसे समझने की जरूरत हैं। अपरिपक्व वैचारिक मानस का युवा जो बिना कुछ सोचे- समझे जीवन की भाग दौड़ में लगा है, आए दिन समाज में अमानवीय घटनाओं का शिकार हो रहा है। साथ ही आज का मीडिया हमें दिग्भ्रमित कर रहा हैं। हमें सजग रहने की आवश्यकता है, हर काल में वैचारिक धारा का महत्व होता है, उसी के आधार पर चरित्र का निर्माण होता हैं। चरित्र ही हमारे व्यक्तित्व को ऊंचाइयां प्रदान करता है। साथ ही देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें। राष्ट्र एक सिद्धांत का नाम है तथा भाषा, संस्कृति,समाज एवं कला उसके अंग हैं।

संगठन के कार्य एवं उद्देश्य:-
1. NYTI संगठन एक सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं क्रांतिकारी सामाजिक संगठन के रूप में बनाया गया है।
2. NYTI संगठन सभी के लिए समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्ष करेगा।
3. NYTI संगठन राष्ट्रीय एकता एवं भाईचारा को मजबूती प्रदान करने का प्रयास करेगा।
4. NYTI संगठन वर्तमान में उत्पन्न जाति धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव खत्म कर समाज में एक समानता की भावना उत्पन्न करने का प्रयास करेगा।
5. NYTI संगठन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को हर प्रकार से उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास करेगा।
6. NYTI संगठन द्वारा समाज के लोगों को उनके कर्तव्यों, अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
7. NYTI संगठन द्वारा सामाजिक समस्याओं का समाधान करना।
8. NYTI संगठन द्वारा स्थानीय विकास कार्यों में अपना योगदान देना।
9. NYTI संगठन द्वारा प्रतिवर्ष विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन करना जिससे युवाओं का मनोबल बढ़े।
10. NYTI संगठन द्वारा समाज में फैले धर्म को धंधे के रूप में चलाने वालों के खिलाफ आवाज उठाना।

NYTI संगठन बनाने का उद्देश्य:- मनुष्य के जीवन में संगठन का बड़ा महत्व है। अकेला मनुष्य शक्तिहीन है, जबकि संगठित होने पर उसमें शक्ति आ जाती है। संगठन की शक्ति से मनुष्य बड़े-बड़े कार्य भी आसानी से कर सकता है। संगठन में ही मनुष्य की सभी समस्याओं का हल है। जो परिवार और समाज संगठित होता है वहां हमेशा खुशियां और शांति बनी रहती है और ऐसा देश तरक्की के लिए नए उद्देश्यों को तय करता है। इसके विपरीत जो परिवार और समाज असंगठित होता है वहां आए दिन किसी न किसी बात पर कलह होती रहती है जिससे वहां हमेशा अशांति का माहौल बना रखता है। संगठित परिवार, समाज और देश का कोई भी दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जबकि असंगठित होने पर दुश्मन जब चाहे आप पर हावी हो सकता है। संगठन का प्रत्येक क्षेत्र में विशेष महत्व होता है, जबकि बिखराव किसी भी क्षेत्र में अच्छा नहीं होता है। संगठन का मार्ग ही मनुष्य की विजय का मार्ग है। यदि मनुष्य किसी गलत उद्देश्य के लिए संगठित हो रहा है तो ऐसा संगठन अभिशाप है, जबकि किसी अच्छे कार्य के लिए संगठन वरदान साबित होता है। प्रत्येक धर्म ग्रंथ संगठन और एकता का संदेश देते हैं। कोई भी धर्म आपस में बैर करना नहीं सिखाता। सभी धर्मों में कहा गया है कि मनुष्य को परस्पर प्रेमपूर्वक वार्तालाप करना चाहिए। मनुष्य जब एकमत होकर कार्य करता है तो संपन्नता और प्रगति को प्राप्त करता है। संगठन में प्रत्येक व्यक्ति का विशेष महत्व होता है इसलिए जब मनुष्य संगठित होकर कोई कार्य करता है तो उसके परिणाम में विविधता देखने को मिलती है। जिस तरह प्रत्येक फूल अपनी-अपनी विशेषता और विविधता से किसी बगीचे को सुंदर व आकर्षित बना देते हैं उसी तरह मनुष्य भी अपनी-अपनी विशेषता और योग्यता से किसी भी कार्य को नया आयाम प्रदान कर सकते हैयह भी संभव नहीं है कि किसी विषय पर सभी व्यक्तियों का मत एक जैसा ही हो, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति किसी विषय या समस्या को अपने नजरिये से ही देखता है और इसी आधार पर उसका समाधान भी खोजता है, लेकिन जब बात संगठन की आती है तब मनुष्य को वही करना चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का भला हो। संगठन में प्रत्येक मनुष्य को अपनी व्यक्तिगत भावनाओं पर नियंत्रण करना होता है इसलिए संगठन में व्यक्ति को शारीरिक तौर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक व बौद्धिक रूप से भी समर्पित होना पड़ता है।


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